New Update

6/recent/ticker-posts

Advertisement

Namaz mein shamil hone ka tarika

 

Namaz mein shamil hone ka tarika


Namaz mein shamil hone ka tarika

अगर कोई शख्स Namaz mein shamil hone ke liye अपने मोहल्ले या मकान के करीब मस्जिद में ऐसे वक़्त पहुंचा कि वहाँ जमात हो चुकी तो उसको मुस्तहब है कि दूसरी मस्जिद में बा तलाश जमात जाए और यह भी अख्तयार है कि अपने घर में वापिस आ कर घर के आदमियों को जमा कर के जमात करे ।

 

अगर कोई शख्स अपने घर में फर्ज़ Namaz तनहा पढ़ चुका ओर उसके बाद देखे कि वही फर्ज़ जमात से हो रहा है तो उसको चाहिए कि जमात में शरीक हो जाए बशर्तह कि ज़ोहर और ईशा का वक़्त हो और फ़जर, असर, मगरीब के वक़्त शरीक जमात न हो,

इस लिए कि फ़जर और असर की नमाज़ के बाद नफ़ील Namaz मकरूह है मगरीब के बाद इस लिए कि यह दूसरी Namaz नफ़ील होगी और नफ़ील में तीन रकात मनकुल नहीं ।

 

फर्ज़ नमाज़ पढ़ने का तरीका

अगर कोई शख्स फर्ज़ नमाज़ शुरू कर चुका हो और उसी हालत में फर्ज़ नमाज़ से होने लगे तो अगर वह फर्ज़ नमाज़ दो रकात वाला है जैसे फ़जर की नमाज़ तो उसका हुक्म यह है कि अगर पहली रकात का सजदा न किया हो तो उस नमाज़ को कता कर दे और जमात में शामिल हो जाए,

और अगर पहली रकात का सजदा कर लिया हो और दूसरी रकात का सजदा न किया हो तो भी कता कर दे और जमात में शामिल हो जाए और अगर दूसरी रकात का सजदा कर लिया हो तो दोनों रकात पूरी कर ले और अगर वह फर्ज़ नमाज़ तीन रकात वाला है जैसे मगरीब तो उसका हुक्म यह है कि अगर दूसरी रकात का सजदा न किया हो तो कता कर दे और अगर दूसरी रकात का sajada कर लिया हो तो अपनी नमाज़ पूरी कर ले और बाद में जमात के अंदर शरीक न हों क्यूंकी नफ़ील तीन रकात के साथ जाएज नहीं और अगर वह फर्ज़ नमाज़ चार रकात वाला हो जैसे जोहर, असर, ईशा, तो अगर पहली रकात का सजदा न किया हो तो कता कर दे और अगर सजदा कर लिया हो तो दो rakat पर अत्तहियात वगैरह पढ़ कर सलाम फेर ले और जमात में मिल जाए और अगर तीसरी रकात शुरू कर ली अगर उसका सजदा न किया हो तो कता कर दे और अगर सजदा कर लिया हो तो नमाज़ पूरी कर ले और जिन सूरतों में नमाज़ पूरी कर ली जाए उन में से मगरीब, फ़जर, और असर में तो दोबारा शरीके जमात न हों और जोहर और ईशा में शरीक हो जाए और जिन शूरतों में कता करना हो तो खड़े – खड़े एक सलाम फेर दे ।

 

Nafil Namaz Padhne Ka Sahi Tarika in hindi

अगर कोई शख्स नफ़ील नमाज़ शुरू कर चुका हो और फर्ज़ जमात से होने लगे तो Nafil Namaz को न तोड़े बल्कि उसको चाहिए कि दो रकात पढ़ कर सलाम फेर दे अगर चह Nafil Namaz चार रकात की नियत की हो ।

 

Sunnat-e-Muakkadah aur Sunnat-e-Gair Muakkadah

जोहर और जुमा की Sunnat-e-Muakkadah अगर शुरू कर चुका हो, और फर्ज़ होने लगे तो ज़हीर मज़हब यह है कि दो रकात पर सलाम फेर कर शरीके जमात हो जाए और बहुत से फोकहा के नज़दीक रायज़ यह है कि चार रकट पूरी करे और अगर तीसरी रकात शुरू कर दी तो अब चार का पूरा करना ज़रूरी है ।

अगर फर्ज़ नमाज़ हो रही हो तो फिर सुन्नत वगैरह शुरू न की जाए बशर्ते किसी रकात के चले जाने का खौफ हो, हाँ अगर यकीन और गुमान गालिब हो कि कोई पहली रकात न जाएगी तो पढ़ ले ।

मसलन ज़ोहर के वक़्त जब फर्ज़ शुरू हो जाए और खौफ हो कि सुन्नत पढ़ने से कोई रकात जाती रहेगी तो फिर Sunnat-e-Muakkadah जो फर्ज़ से पहले पढ़ी जाती है छोड़ दे ।

फिर ज़ोहर और जुमा में बादे फर्ज़ के बेहतर यह है कि बाद वाली Sunnat-e-Muakkadah अव्वल पढ़ कर उन सुन्नतों को पढ़ ले मगर फ़जर की Sunnat-e चूंकि ज़्यादा Muakkadah है लेहाजा उनके लिए यह हुक्म है कि अगर फर्ज़ शुरू हो चुका तब भी अदा कर ली जाए, बशर्ते कि एक रकात मिल जाने की उम्मीद हो और अगर एक रकात की भी उम्मीद न हो तो फिर न पढे फिर अगर चाहे तो बादे सूरज निकलने के पढे ।

 

अगर यह खौफ हो कि फ़जर की सुन्नत अगर नमाज़ के मुस्तहबात वगैरह की पाबंदी से अदा की जाए तो जमात न मिलेगी तो ऐसी हालत में चाहिए कि सिर्फ फर्ज़ और वाजिबात पर अख्तेसार करे ।

सुन्नत वगैरह छोड़ दे ।

 

फर्ज़ शुरू होने की हालत में जो सुन्नतें पढ़ी जाएँ वह फ़जर की हो या किसी और वक़्त की वह ऐसे मुकाम पर पढ़ी जाए जो मस्जिद से इलाहदा हो इस लिए कि जहां फर्ज़ होती हो फिर कोई दूसरी नमज़ वहाँ पढ़ना मकरूह तहरीमी है और अगर कोई ऐसी जगह न मिले तो सफ से इलाहदा मस्जिद के किसी गोशे मे namaz पढ़ ले ।

 

अगर जमात का कादा मिल जाए और रकातें न मिले तब भी jamat का सवाब मिल जाएगा ।

जिस रकात का रुकु ईमाम के साथ मिल जाए तो समझा जाएगा कि वह रकात मिल गई , हाँ अगर रुकु न मिले तो फिर उस रकार का शुमार मिलने में न होगा ।

 

Aurton Ki Namaz Padhne Ka Sahi Tarika In Hindi

Aurton Ki Namaz Padhne Ka Sahi Tarika यह है कि सब औरतें अपनी – अपनी Namaz अलग – अलग पढ़ें Jamat से न पढ़ें और Jamat के लिए Masjid में जाना और वहाँ जा कर मर्दों के साथ नहीं पढ़ना चाहिए ।

अगर कोई Aurt अपने शौहर, बाप वगैरह किसी महरम के साथ जमात कर के Namaz पढे तो किसी मर्द के बराबर न खड़ी हो, बिलकुल पीछे रहे वरना उसकी नमाज़ भी खराब होगी और उस मर्द की नमाज़ भी बर्बाद हो जाएगी और ईमाम के पीछे अलहम्द और सूरत वगैरह न पढे खामूश खड़ी रहे ।

 

 

JM Islamic Official

Post a Comment

1 Comments