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Nafil Roza Rakhne ki niyat ki dua | Nafil roze ki fazilat

Nafil Roza Rakhne ki niyat ki dua

Nafil Roza Rakhne ki niyat ki dua


दोस्तों आज की इस पोस्ट में हम बात करने वाले हैं Nafil Roza Rakhne ki niyat ki dua क्या है और आप Nafil Roza Rakhne ki niyat ki dua की नियत कैसे कर सकते हैं, अगर आप Nafil Roza Rakh रहे हैं तो आप Nafil Roza Rakhne ki niyat ki dua कैसे कर सकते हैं, दोस्तों Nafil Roza Rakhne ki niyat ki dua यह है कि Nafil Roza Rakhne ki niyat अगर यह मुकर्रर कर के करे कि मैं Nafil Roza रखता हूँ तो यह भी सही है और अगर फकत इतनी नियत करे कि मैं Roza रखता हूँ तो यह भी तरीका सही है । दोपहर से पहले एक घंटा पहले तक Nafil Roza Rakhne ki niyat कर लेना दुरुस्त है, अगर दस बजे तक मसलन रोज़ा रखने के इरादा न था लेकिन अभी तक कुछ खाया पिया नहीं फिर अगर उसका जी चाहे कि मैं रोज़ा रख लूँ और उसने रोज़ा रख लिया तो यह तरीका भी सही है । रमज़ान शरीफ केआर सिवा जिस दिन चाहे Nafil ka Roza रखे जितने ज़्यादा रोज़े रखेगा उतना ही ज़्यादा सवाब मिलेगा, अलबत्ता ईद के दिन और बक़राईद के दसवीं, ग्यारहवीं, बारहवीं, तेरहवीं, तारीख के यानि साल भर में फकत इन दिनों पाँच रोज़े हराम हैं, इसके सिवा बाक़ी सब रोज़े दुरुस्त हैं ।

अगर कोई शख्स ईद के दिन रोज़ा रखने की मिन्नत माने तब भी उस दिन का रोज़ा दुरुस्त नहीं है उसके बदले किसी और दिन रोज़ा रख ले । Nafil ka roza niyat karne se वाजिब हो जाता है, अगर सुबह को यह नियत की कि आज मेरा रोज़ा है फिर उसके बाद रोज़ा तोड़ दिया तो उस रोज़े की क़ज़ा रखे । शौहर के बिना इजाजत के बीवी को Nafil Roza Rakhna दुरुस्त नहीं अगर बे उसकी इजाजत रोज़ा रख लिया तो उसके तोड़वाने से रोज़ा को तोड़ देना दुरुस्त है फिर जब वह कहे उसकी क़ज़ा रखे ।

 

Nafil roze ki fazilat

Nafil roze ki fazilat

दोस्तों अब हम बात करते हैं
Nafil roze ki fazilat क्या है और Nafil roze से हमें कितना सवाब मिलता है, Nafil roze ki fazilat में मोहर्रम की दसवीं तारीख को रोजा रखना है, मोहर्रम की दसवीं तारीख को रोज़ा रखना मुस्तहब है, हदिश शरीफ में आया है कि जो कोई यह रोज़ा रखेगा उसके गुज़रे हुये एक साल के गुनाह माफ हो जाते हैं, इसी तरह बक़राईद की नौवीं तारीख को रोज़ा रखने का बड़ा सवाब है उस रोज़ा के रख लेने से एक साल के अगले और एक साल के पिछले गुनाह माफ हो जाते हैं, और अगर कोई शख्स बक़राईद के शुरू चाँद से नौवीं तारीख तक रोज़ा रखे तो बहुत ही बेहतर है ।

शबे बारात की पंद्रहवीं और ईद के महीने में छः दिन Nafil Roza rakhne का भी बहुत ज़्यादा सवाब है ।

अगर कोई शख्स हर महीने के तेरहवीं, चौदहवीं, पंद्रहवीं तारीख को रोज़ा रख लिया करे तो यह माना जाएगा कि उसने साल भर बराबर रोज़ा रखे, हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम यह तीन दिन के रोज़ा रखा करते थे और ऐसे ही हर दोषम्बा व जुमेरात के दिन रोज़ा रखा करते थे, और अगर कोई शख्स हिम्मत कर के यह रोज़ा रखता है तो उनका भी बड़ा सवाब है ।

 तो दोस्तों यह था Nafil Roza Rakhne ki niyat ki dua और Nafil roze ki fazilat तो उम्मीद करता हूँ कि आप को इनके बारे में समझ में आया होगा , अगर आपको इस पोस्ट में किसी भी तरह कि कोई परेशानी होती है या कोई मसला समझ में न आए तो आप हमें कमेंट करे मैं आपको उस मसले को डिटेल्स में बताऊंगा ।

 

 

Posted by – JM Islamic Official

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