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Islamic dua in hindi

 Islamic dua in hindi


Islamic dua in hindi

वह अहम दुआएं जिन्हें याद कर लेना चाहिए :

किसी मुसाफिर को रुखसत करे Islamic dua in hindi :

( अस्तउदिउल्लाहु दीनका व अमानतका व ख्वातिमा अम्लिका )

मैं सुपुर्द करता हूँ अल्लाह के तुम्हारे दीन को और तुम्हारे अमानत को और तुम्हारे आखिरी अमल को ।

और मुसाफिर उसका जवाब इस तरह दे :

( अस्तुदी उकुमुल्लाह अल्लज़ी ला तज़इउ व दाउहु )

मैं सुपुर्द करता हूँ तुम्हें उस अल्लाह के कि नहीं जाये होतीं उसके सुपुर्द की हुई चीज़ें ।

 

सफर की Islamic dua in hindi :

अल्लाहु अकबर , अल्लाहु अकबर , अल्लाहु अकबर

( सुबहनल्ल्ज़ी सक्खरलना हाज़ा वमा कुन्ना लहू मुकरिनीन व इन्ना इलैही रब्बना लमून कलिबुन ) अल्लाहुम्मा इन्ना नसा अलुका फी सफरना हाज़ल बर्रा वत्तक़वा , व मिनल अमल मा तरज़ा , अल्लाहुम्मा हव्वना अलैना सफरना हाज़ा व अत्व अन्ना बुदहु , अल्लाहुम्मा अंतस्साहिबु फिस्सफर वल खलीफ़तु फी अल अहल , अल्लाहुम्मा इन्नी अउज़ू बिका मिन व अशा इस्सफर वका बतिल मंज़र व सुईल मूनकलबी फिलमाला वल अहल )

अल्लाह सबसे बड़ा है , अल्लाह सबसे बड़ा है , अल्लाह सबसे बड़ा है ,

पाक है वह ज़ात जिसने ताबा कर दिया हमारे लिए उसे वरना नहीं थे हम उसे क़ाबू में ला सकने वाले और यकीना हम अपने रब ही की तरफ वापिस जाने वाले है ।

ऐ अल्लाह ! हम तुझसे सवाल करते हैं अपने उस सफर में नेकी और तकवा का और ऐसे अमल का जिसे तू पसंद फरमाए ।

ऐ अल्लाह ! आसान फरमा दे हम पर हमारा यह सफर और लपेट दे यहाँ से उसकी लंबी मुसाफ़त को ,

ऐ अल्लाह ! तू ही हमारा साथी है ।

उस सफर में और तू ही हमारा जानसीन है घर और घर वालों में ,

ऐ अल्लाह ! मैं तेरी पनाह में आता हूँ सफर की मशक़त से और उसके तकलीफ दह मंज़र से और बुरी तबदीली से माल में और घर वालों में ।

और सफर से वापसी पर भी यही अल्फ़ाज़ कहते और उनमें यह इजाफ़ा करते : ( अय्युबुन ताइबुन आबिदून लि रब्बना हामीदून )

हम वापिस लौटने वाले हैं, तौबा करने वाले  हैं, इबादत करने वाले और अपने रब ही की तारीफ करने वाले हैं ।

 

बिस्तर पर जाने की Islamic dua in hindi 

( अल्लाहुम्मा असलमतो नफसी इलैका व फ़ौज़तू अमरी इलैका व अल्जातु ज़हरी इलैका रहबतन व रगबतन इलैका ला मलजा वला मनजा मिनका इल्ला इलैका आमन्तु बिकिताबीका अल्लज़ी अंज़लता व बिनाबय्यका अल्लज़ी अरसलत )

ऐ अल्लाह ! मैंने तबीह कर दिया है अपने नफ़्स को तेरे ओर सौंप दिया अपना मामिला तुझे और मुतवज्जा किया मैंने अपना चेहरा तेरी तरफ और झुकाई अपनी पश्त तेरी तरफ सवाब में रगबत करते हुये और दौड़ते हुये तेरे अज़ाब से, नहीं है कोई पनाहगाह और न जाए निजात तुझसे मगर तेरी ही बारगाह में, मैं ईमान लाया तेरी उस किताब पर जिसे तूने नाज़िल फरमाया और तेरे उस नबी पर जिसे तूने हमारी तरफ भेजा ।

( अलहम्दु लिल्ला हिल्ल्ज़ी अतअमना वसक़ाना व कफ़ाना व अवाना फकुम मिम्मन ला काफी लहू वला मूअवी )

हर क़िस्म की तारीफ उस अल्लाह के लिए है जिसने हमें खिलाया और पिलाया और हमें काफी हो गया , और हमें ठिकाना दिया, वरना कितने ही ऐसे लोग हैं जिनकी न कोई किफालत करने वाला है और न ठिकाना देने वाला ।

( अल्लाहुम्मा किनी अज़ाबका यौमा तबअसू अबादका )

ऐ अल्लाह ! मुझे बचाना उस दिन अपने अज़ाब से जिस दिन तू उठाएगा अपने बंदों को ।

( सुबहानका अल्लाहुम्मा रब्बी बिका वज़अतु जनबी व बिका अरफउहु इन आमसकत नफसी फगफिर लहा व इन अरसलतहा फ हफज़हा बिमा तहफ़ज बिही इबादकस्सालीहीन )

पाक है तू ऐ मेरे अल्लाह ! तेरे नाम के साथ ही रखा मैंने अपना पहलू (बिस्तर) और तेरे नाम के साथ ही उसको उठाऊंगा, लेहाज़ा अगर तू मेरी रूह को रोक ले तो उस पर रहम फरमाना और अगर तू उसे छोड़ दे तो उसको ऐसे हिफाज़त फरमाना जैसे तू हिफाज़त फरमाता है अपने नेक बंदों की ।


Nabi ne farmaya

Nabi सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम जब बिस्तर पर आते तो अपनी दोनों हथेलियाँ जमा करते ( कुल अउजू बीरब्बिन्नास ) और मौज़ तीन ( कुल अउजू बीरब्बिल फलक़ ) और ( कुल हु अल्लाहु अहद ) पढ़कर उनमें फूंकते, फिर अपने जिस्म पर जहां तक ताक़त होती फेरते ।

Nabi सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम सूरह सजदह और सूरह मुल्क पढे बेगैर नहीं सोते थे ।

 

 

 

JM Islamic Official

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