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Namaz ki Sunnat in hindi

Namaz ki Sunnat in hindi

 

Namaz ki Sunnat in hindi

Namaz ki Sunnat in hindi तकबीर तहरीमा कहने से पहले दोनों हाथों का उठाना, मर्दों को कानों तक और औरतों को शानों तक Namaz ki Sunnat है अजर की हालत में मर्दों को भी शानो तक हाथ उठाने में कोई हर्ज़ नहीं है ।

तकबीर तहरीमा के फौरन बाद मर्दों को नाफ़ के नीचे और औरतों को सीना पर हाथ बांध लेना Namaz ki Sunnat है ।

इमाम और मुनफरद को सूरह फातेहा के खत्म होने के बाद आहिस्ता आवाज़ से आमीन कहना और केरात बुलंद आवाज़ से हो तो सब मुक्तादियों को भी आहिस्ता आमीन कहना Namaz ki Sunnat है ।

 

Makaruh namaz in hindi

Makaruh namaz in hindi namaz कि हालत में कपड़े का खिलाफ दस्तूर पहनना यानि जो तरीका उसके पहनने का हो, और जिस तरीके से अहल तहजीब पहनते हों उसके खिलाफ उसका इस्तेमाल Makaruh तहरिमी है । मतलब कोई शख्स चादर ओढ़े और उसका किनारा शाने पर न डाले या कुर्ता पहने और आस्तीनों में हाथ न डाले उससे namaz Makaruh हो जाती है ।

अगर किसी की टोपी या इमामा namaz पढ़ने में गिर जाए तो अफजल यह है कि उसी हालत में उसे उठाकर पहन ले लेकिन अगर उसके पहनने में अमले कशीर की ज़रूरत पड़े तो न पहने । इससे namaz Makaruh हो जाती है ।

मर्दों को अपने दोनों हाथ की केहुनियों का सजदा की हालत में बिछा देन Makaruh तहरीमी है ।

मुकतदी को अपने इमाम से पहले कोई फ़ाल शुरू करना Makaruh तहरीमी है ।

 

Namaz todna sahi hai

Namaz todna sahi hai पढ़ने में रेलगाड़ी चल दे और उस पर अपना असबाब रखा हुआ हो या बाल बच्चे उस रेलगाड़ी में सवर हों तो Namaz todna sahi hai

अगर Namaz पढ़ते समय सामने साँप आ गया तो उसके डर से Namaz todna sahi hai

रात को मुर्गी खुली रह गयी और बिल्ली उसके पास आ गयी तो उसके खौफ से Namaz todna sahi hai

कोई औरत Namaz में है और हांडी उबलने लगी जिसकी लागत तीन चार आने है तो Namaz todna sahi hai नमाज़ तोड़ कर उस हांडी को दुरुस्त कर देना जायज़ है ।

अगर Namaz पढ़ते समय पेशाब या पाखाना ज़ोर करे तो Namaz todna sahi hai और फिर बाद में Namaz पढे ।

कोई अंधी औरत या मर्द जा रहा है और सामने कुआं है और उसमे गिर पड़ने का डर है तो उसे बचाने के लिए Namaz todna sahi hai और फर्ज़ है, अगर Namaz नहीं तोड़ी और वह कुएं में गिर कर मर गया तो Namaz पढ़ने वाला गुनहगार होगा ।

माँ बाप, दादा दादी, नाना नानी, किसी मुसीबत की वजह से पुकारें तो फर्ज़ Namaz todna sahi hai और वाजिब है, जैसे किसी के बाप या माँ बीमार है और पाखाना वगैरह किसी ज़रूरत से गया और आने जाने में पैर फिसल गया और वह गिर पड़ा तो Namaz todna sahi hai और namaz को तोड़कर उसे उठाले लेकिन अगर कोई और उठाने वाला हो तो बे ज़रूरत नमाज़ न तोड़े ।

और अगर नफ़ील या सुन्नत namaz पढ़ता हो, उस वक़्त माँ बाप, दादा दादी, नाना नानी, पुकारें लेकिन यह उनको मालूम नहीं है कि वह नमाज़ पढ़ रहा है तो ऐसे वक़्त में भी Namaz todna sahi hai और उनकी बात का जवाब देना वाजिब है, चाहे किसी मुसीबत से पुकारे या बेगैर ज़रूरत पुकारें दोनों का एक ही हुक्म है, अगर नमाज़ तोड़कर न बोलेगा तो गुनहगार होगा और अगर वह जानते हों कि वह नमाज़ पढ़ रहा है फिर भी पुकारें तो namaz न तोड़े लेकिन अगर ज़रूरत से पुकारें और उनको तकलीफ होने का डर हो तो Namaz todna sahi hai

 


तो दोस्तों यह था Namaz के बारे में कुछ ज़रूरी जानकारी।

आशा करता हूँ कि आपको यह जानकारी काफी पसंद आया होगा ।

दोस्तों अगर आपको इससे संबन्धित कोई भी मसला समझ में न आए तो आप कमेंट बॉक्स में कॉमेंट कर के पूछ सकते हैं,

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शुक्रिया


 

JM Islamic Official

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