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Namaz tarawi ka bayan in hindi

 

Namaz tarawi ka bayan in hindi


Namaz tarawi ka bayan in hindi

Namaz tarawi ka bayan in hindi रमज़ान के महीने में Namaz tarawi की नमाज़ भी सुन्नत है, Namaz tarawi का छोड़ देना और Namaz tarawi का न पढ़ना गुनाह है ।

ईशा नमाज़ की फर्ज़ और सुन्नत नमाज़ के बाद बीस रकात Namaz tarawi पढ़ना चाहिए चाहे Namaz tarawi दो रकात की नीयत बांधे चाहे Namaz tarawi की चार रकात की नीयत बांधे, मगर दो – दो रकात की नीयत बांध कर Namaz tarawi का पढ़ना अफ़जल है ।

जब बीस रकात Namaz tarawi पढ़ चुके तो फिर नमाज़ वित्र पढे ।

Namaz tarawi के बाद वित्र की नमाज़ जमात के साथ पढ़ना बेहतर है अगर Namaz tarawi से पहले वित्र की नमाज़ पढ़ ले तो भी दुरुस्त है ।

Namaz tarawi में चार रकात के बाद इतनी देर तक बैठना जितनी देर में चार रकात पढ़ी गयी है मुस्तहब है हाँ अगर इतनी देर तक बैठने से लोगों को तकलीफ हो और Namaz tarawi की जमात के कम हो जाने का खौफ हो तो उस से कम समय तक बैठने में अखतयार है चाहे तनहा नवाफ़िल पढे या तसबीह वगैरह पढे चाहे चुप बैठा रहे ।

 

Namaz tarawi aur isha ki namaz ka bayan

अगर कोई शख्स isha ki namaz के बाद Namaz tarawi पढ़ चुका हो और बाद पढ़ चुकने के बाद मालूम हो कि isha ki namaz में ऐसी बात हो गयी थी जिसकी वजह से isha ki namaz हुई तो उसको isha ki namaz के आदह के बाद Namaz tarawi का भी आदह करना जायज़ है ।

अगर isha ki namaz जमात से पढ़ी गयी हो तो Namaz tarawi भी जमात से न पढ़ी जाए इस लिए Namaz tarawi isha ki namaz के ताबिअ है हाँ जो लोग isha ki namaz जमात से पढ़ कर Namaz tarawi जमात से पढ़ रहे हों उनके साथ शरीक होकर उस शख्स को भी Namaz tarawi का जमात से पढ़ना दुरुस्त हो जाएगा ।

जिसने isha ki namaz बेगैर जमात के पढ़ी है ।

अगर कोई शख्स मस्जिद में ऐसे वक़्त पहुंचा की isha ki namaz हो चुकी हो तो उसे चाहिए कि पहले isha ki namaz पढ़ ले फिर बाद में Namaz tarawi में शरीक हो अगर उस दरमियान में Namaz tarawi की कुछ रकातें पूरी हो जाए तो उन Namaz tarawi को वित्र नमाज़ के बाद पढे । और यह शख्स वित्र जमात से पढे ।

 

Namaz tarawi सुन्नत मुअक्किदा

महीने में एक मर्तबा कुरान मजीद का तरतीबवार Namaz tarawi में पढ़ना सुन्नत मूअक्कीदा है, और लोगों का काहिली या सुस्ती से Namaz tarawi को तर्क न करना चाहिए ।

हाँ अगर यह अंदेशा हो कि अगर पूरा कुरान मजीद पढ़ा जयेगा तो नमाज़ में न आएंगे और जमात टूट जाएगी ।

या उनको बहुत न गवारा होगा तो बेहतर है कि जिस कदर लोगों को गिरां न गुज़रे उसी क़दर पढ़ा जाए अलम तर कइफ़ा से आखिर दस सूरह तक पढ़ दी जाएँ ।

हर रकात में एक सूरत फिर जब दस रकात हो जाए तो उन सूरतों को दोबारा पढ़ दे और जो सूरतें चाहे पढे ।

एक कुरान मजीद से ज़्यादा न पढे ता वक्तीया लोगों का शौक़ न मालूम हो जाए ।

एक रात में पूरे कुरान मजीद का पढ्ना जायज़ है बशर्त यह है कि लोग निहायत शौकीन हों कि उनको गिरां न गुजरे और अगर नगवार हो तो मकरुर है ।

Namaz tarawi मे किसी शूरत के शुरू पर एक मर्तबा बिस्मिल्लाहिर्रमानिर्रहिम बुलंद आवाज़ से पढ़ देना चाहिए इस लिए कि बिस्मिल्लाह भी कुरान मजीद की एक आयत है अगर चह किसी सूरत का जजु नहीं पस अगर बिस्मिल्लाह बिलकुल न पढ़ी जाए तो कुरान मजीद के पूरा होने में एक आयत की कमी रह जाएगी और अगर आहिस्ता आवाज़ से पढ़ी जाएगी तो मुकतदियों का कुरान पूरा न होगा ।

Namaz tarawi का रमज़ान के पूरे महीने में पढ्न सुन्नत है Namaz tarawi कि भी ताकीद आई है, अगर चह कुरान मजीद महिना तमाम होसे से कब्ल खतम हो जाए मसलन पंद्रह रोज़ में पूरा कुरान मजीद पढ़ दीया जाए तो बाक़ी दिनों में भी Namaz tarawi का पढ्न सुन्नत है ।

Namaz tarawi में सही यह है कि कुलहू अल्लाहु अहद का Namaz tarawi में तीन मर्तबा पढ़ा जैसा कि आज कल दस्तूर है ।

मकरूह है ।

 

 

JM Islamic Official

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