New Update

6/recent/ticker-posts

Advertisement

Qabar ka dabaw kyun hota hai

 

Qabar ka dabaw kyun hota hai


Qabar ka dabaw kyun hota hai

Qabar ka dabaw kyun hota hai हज़रत मोहम्मद तैमी का बयान है कि हम तमाम लोगों में यह बात है आम थी कि ज़मीन चूंकि तमाम इंसानों की माँ है, इंसान उसी से पैदा किया गया है और पैदा हो कर एक तवील मुद्दत तक इंसान अपनी माँ यानि ज़मीन से जुदा रहा, इस तरह दफन होने के बाद Qabar ka dabaw उसी तरह है जिस तरह माँ अपने बच्चे को भेंचती है जो गायब हो जाने के बाद उसी तरह मिल गया हो,

अलबत्ता यह फर्क है कि फरमाबरदारी को नरमी से और नाफ़रमान को सख्ती से ।


 

Qabar tamam logo ko bhencahti hai

Qabar tamam logo ko bhencahti hai हज़रत हुजैफ रजिअल्लाहु अनहु की रिवायत है कि हम नबी करीम सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम के साथ एक जनाज़े में शरीक हुये ।

जब हम लोग qabar के पास पहुंचे तो आप सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम qabar के किनारे बैठकर बार – बार qabar में झाँकने लगे ।

और फिर आप सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम ने फरमाया कि qabar में मोमिन भी उस शिद्दत से दबाया जाता है कि उसकी हँसली की हड्डी अपनी जगह से हट जाती है ।

हज़रत आयशा सिद्दीका रजिअल्लाहु अनहा से रिवायत है कि जनाब रहमते आलम सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम ने फरमाया qabar का एक दबाव हर शख्स के लिए लाज़िम है ।

अगर उससे किसी को निजात मिलनी होती है तो यकीनन साद बिन माज़ को निजात मिलती ।

हज़रत इब्न उमर रजिअल्लाहु अनहु से रिवायत है कि हुज़ूर अकरम सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम ने फरमाया साद बिन माज़ रहमतुल्लाह वह शख्स हैं कि जिनकी मौत पर अर्श हिल गया ।

आसमान के दरवाजे खोल दिये गए ।

और उनकी मय्यत के पास सत्तर हज़ार फरिश्ते ने हाज़िरी दी, और साद बिन माज़ रजिअल्लाहु अनहु भी भेंचे गए ।

मगर अल्लाह ताला ने उनकी qabar को कुशादह कर दिया ।


 

Bachchon par qabar ka dabaw

Bachchon par qabar ka dabaw हज़रत अनस रजिअल्लाहु अनहु से रिवायत है कि रसूल सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम ने एक बच्चे की नमाज़ जनाज़ा पढ़ी ।

जब उसको दफन कर दिया गया तो आप सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम ने फरमाया, अगर कोई शख्स qabar ke dabaw से निजात पाता तो यह बच्चा निजात पता मतलब यह है कि इस बच्चा को भी Bachchon par qabar ka dabaw

हज़रत इब्रहीम गनवी रजिअल्लाहु अनहु से एक शख्स ने बयान किया कि मैं हज़रत आयशा सिद्दीका की खिदमत में मौजूद था ।

उसी दौरान मैं आप सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम के सामने से किसी बच्चा का जनाज़ा गुज़रा ।

जनाज़ा को देख कर हज़रत आयशा सिद्दीका रजिअल्लाहु अनहा रोने लगीं ।

मैंने रोने की वजह दरयाफ्त की ।

तो आप सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम ने फरमाया इस नन्हें बच्चे पर सफकत की वजह से मुझे रोना आ गया कि Bachchon par qabar ka dabaw हैगा ।

यह नन्हाँ सा जिस्म, और फिर qabar ka dabaw

रोने का मुकाम है ।


 

Peshab me be ahatayaati par qabar ka dabaw

Peshab me be ahatayaati par qabar ka dabaw हज़रत अब्दुल्लाह रजिआलहू अनहु ने हज़रत साद बिन माज़ के घर वालों से दरयाफ्त किया कि सद के बारे में तुम लोगों को रसुलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम की कोई बात पहुंची है ?

साद रजिअल्लाहु अनहु के घर वालों ने जवाब दिया कि हमें यह खबर मालूम हुई है कि लोगों ने रसुलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम से साद रजिअल्लाहु अनहु को qabar में दबचो जाने का सबब दरयाफ्त किया तो आप सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम ने फरमाया साद रजिअल्लाहु अनहु Peshab ki taharat में ज़रा कोताही करते थे ।


 

Qabar ke dabaw se mahafuz

Qabar ke dabaw se mahafuz हज़रत अनस रजि अल्लाहु अनहु से रिवायत है कि रसूल सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम ने फरमाया qabar के भेचने से सिवाए फातमा बिंत असद के और किस को माफ नहीं किया गया ।

लोगों ने अर्ज़ किया आप सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम के बेटे कासिम को भी माफ नहीं किया गया ।

आप सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम ने फरमाया qabar ke dabaw से न कासिम रजिअल्लाहु अनहु को माफ किया गया और न मेरे छोटे बेटे इब्रहीम को ।

फातमा बिंत असद हज़रत आली करमुल्लाह वजहु की वालिदा थीं उन्होने बचपन मे आंहजरत सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम की परवरिश की थीं और आप सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम से बहुत मोहब्बत करती थी ।

जब उनकी वफ़ात हुई तो आप सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम ने अपनी चादर मोबारक उनके कफन में दे दी ।

और आप सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम उनकी qabar में दाखिल हो कर लौटे, इसी बरकत से वह Qabar ke dabaw se mahafuz रहीं ।


 

Qabar ke dabaw ke waqt kulhu allah ki barakat

Qabar ke dabaw ke waqt kulhu allah ki barakat हज़रत अब्दुल्लाह बिन शहर रजिअल्लाहु अनहु से रिवायत है कि रसुलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम ने फरमाया जो शख्स बीमारी की हालत में kul hu allahu ahad पढ़ता रहे और उस बीमारी में उसका इंतकाल हो जाए तो वह Qabar ke dabaw ke waqt के फितने से mahafuz रहेगा ।

और क़यामत के दिन फरिश्ते उसको अपनी हथेलियो पर रख कर पुलसिरात से गुजारेंगे और वह जन्नत में पहुँच जाएंगे ।

 

 

 

 

JM Islamic Official

Post a Comment

1 Comments