Qabar ke azab se bachne ki
fazilat
Qabar ke azab se bachne ki
fazilat हज़रत अब्बास रजिअल्लाहु अनहु
से मरवी है कि हुजूरे अकरम सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम ने इरशाद फरमाया जो जुमा की
रात में मगरीब की नमाज़ के बाद दो रकात नमाज़ पढे और हर रकात में सूरह फातिहा एक
मर्तबा और इज़ाज़ूल ज़िलत की सूरत पंद्रह मर्तबा पढे अल्लाह ताला उस पर सकराते मौत को
आसान कर देता है ।
Qabar ke azab se उसको पनाह देता है और क़यामत के दिन पुलसिरात से गुजरना
उसके लिए आसान कर देता है ।
हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैही
वसल्लम ने इरशाद फरमाया कि मैंने अपनी उम्मत के एक शख्स को देखा कि उसके नामए आमाल
ने तराज़ू के बाएँ पलड़े को झुका दिया ।
चुनांचह उसका खौफ खुदावंदी
आया और उसने उस तराज़ू के दायें पलड़े को झुका दिया ।
मैंने अपनी उम्मत के एक शख्स
को देखा कि उसकी तराज़ू आमाल से हल्की फुलकी रह गयी तो उसके पास वह बच्चे आ गए जो
बचपन में मर गए थे, उन्होने आकर
उसकी तराज़ू भारी कर दी ।
Qabar ke azab se bachne ki surah yasin ki fazilat
Qabar ke azab se bachne ki surah yasin ki fazilat ईमाम याफई रहमतुल्लाह ने बाज़ बुज़ुर्गों से रिवायत की है कि
उन्होने किसी मुर्दे को दफन किया और qabar बराबर करके सब लोग चले गए तो मैंने qabar
से मार पीट और ठोकने की आवाज़ सुनी ।
उसके बाद qabar एक काला
कुत्ता निकला ।
शेख ने उस कुत्ते से कहा, ऐ बदबख़्त तू कौन है ?
उस कुत्ते ने कहा कि मैं
मय्यत का अमल हूँ ।
फिर शेख ने पूछा यह मार पीट
तुझको हुई, या मय्यत को ?
यह मार पीट मुझी पर पड़ी और
मुर्दा मार से बच गया क्यूंकी उसके पास सूरह यासीन और सूरह मुल्क व तंज़ील सजदा थीं, इस लिए वह आड़े आ गईं और मैं मार कर qabar
से बाहर निकाल दिया गया ।
Qabar ke azab se nijat pane ki fazilat
Qabar ke azab se nijat pane ki fazilat
हज़रत अब्दुर्रहमान बिन समरह रजिअल्लाहु अनहु बयान करते हैं कि एक दिन रसूले अकरम
सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम हमारे पास तशरीफ लाये और फरमाया, मैंने आज की रात अजीब व गरीब चीज़ देखी
मैंने अपनी उम्मत के एक शख्स को देखा कि उसके पास मौत का फरिश्ता उसकी रूह क़ब्ज़
करने आया ।
बस उस शख्स का अपने वलीदेन के
साथ सुलूक व अहसान करना आगे बढ़ा और मलकुल मौत को उसके पास से लौटा दिया ।
मैंने अपनी उम्मत के एक शख्स
को देखा कि Qabar ke azab se उसके आस – पास उसे घेरे हुये था लेकिन उसका वज़ू आया और
उसने Qabar ke azab se nijat दी,
मैंने अपनी उम्मत के एक शख्स
को देखा कि जिसको शयातीन ने घेर लिया था, चुनांचह अल्लाह ताला का फिकर आगे बढ़ा और उस शयातीन से निजात दिलाई ।
मैंने अपनी उम्मत के एक शख्स
को देखा कि Qabar ke azab के फरिश्तों ने उसको घेर रखा था, लेकिन नमाज़ ने Qabar ke azab se उसको बचा लिया ।
हाफिज़ इब्न फय्यम फरमाते हैं
कि azab को लाज़िम
करने वाले असबाब से पचना ज़रूरी है ।
और Qabar ke azab se nijat दिलाने वाला एक बड़ा सबब यह है कि जब आदमी
सोने का इरादा करे तो घड़ी भर पहले बैठे और बैठकर अपने नफ़्स से हिसाब कर ले ।
कि आज मैं सुबह से क्या कमाया
और क्या खोया ।
फिर जो गुनाह किया है तो
गुनाहों से तौबा करे और फिर सो जाए और जब बेदार हो तो अमल सालेह की तरफ लपके और
ज़िंदगी को गनीमत ख्याल करे ।
जो कुछ कमी रह गयी है उसकी
तकमील करे ।
अल्लाह ताला जिसके साथ भलाई
के इरादा करता है उसी को उसकी तौफीक देता है ।
तो दोस्तों अगर आप भी Qabar ke azab se nijat पाना चाहते हैं तो ऊपर बताए गए हदीस को अपनी ज़िंदगी में शामिल
करें और उस हदीस पर अमल करने की कोशिश करें ।
अल्लाह ताला हमें और आपको
हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम के बताए गए हदीस पर अमल करने की तौफीक दे । आमीन
आशा करता हूँ कि यह post आपको काफी पसंद आया होगा । दोस्तों अगर आपको
इससे संबन्धित कोई और जानकारी चाहिए तो हमे कमेंट करें, मैं आपको
उसके बारे में पूरी जानकारी दूंगा ।
दोस्तों अगर यह पोस्ट आप को पसंद
आया हो तो आपसे गुजारिश है कि आप अपने दोस्तों के साथ ज़रूर शेयर करें ।
शूकरिया
JM Islamic Official
0 Comments