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रोजा रखने की नियत | चाँद देखने के मसायल | नज़र का रोजा रखने की नियत

 रोजा रखने की नियत

रोजा रखने की नियत

दोस्तों आज हम बात करने वाले हैं रमज़ान के महीने में रमज़ान के रोजा के बारे में
, कि रमज़ान में रोजा रखने की नियत क्या है और हम रमज़ान में रोजा की नियत कब तक कर सकते हैं, और मैं आपको इस पोस्ट में रमज़ान में रोजा रखने के लिए चाँद देखने के बारे में भी बताने वाला हूँ तो आप इस पोस्ट को ध्यान से पूरा पढे, ताकि आपको रमज़ान के महीने रोजा रखने की नियत के बारे में पूरी जानकारी मिल सके और आप रमज़ान के रोजा को सही तरीके से पूरा कर सकें, तो दोस्तों उम्मीद करता हूँ कि रमज़ान के रोजा के बारे में आपको इस पोस्ट में पूरी जानकारी मिल जाएगी तो चलिये शुरू करते हैं ।

 

रोजा रखने की नियत हिन्दी में

तो दोस्तों अगर आपको रोजा रखने की नियत के बारे में नहीं मालूम है तो मैं आपको रमज़ान के महीने में रोजा रखने की नियत के बारे में हिन्दी में बताने वाला हूँ, आप इस पोस्ट को पूरा पढ़ें आपको इस पोस्ट में सारी जानकारी मिलेगी, रमज़ान शरीफ के रोजा रखने की नियत अगर रात से कर ले तो भी फर्ज़ अदा हो जाएगा, और अगर आपका रात को रोजा रखने के इरादा न था बल्कि सुबह हो गयी तब भी यही ख्याल रहा कि मैं आज का रोजा न रखूँगा फिर दिन चढ़े यानि दोपहर हो गया फिर ख्याल आया कि फर्ज़ छोड़ देना बुरी बात है, या फर्ज़ नहीं छोड़ सकता इस लिए अब अगर रोजा रखने की नियत कर ली तब भी रोजा हो जाएगा लेकिन अगर सुबह को कुछ खा पी लिया तो अब रोजा रखने की नियत नहीं कर सकता, अगर सुबह से कुछ खाया पिया नहीं है तो दिन को ठीक दोपहर से एक घंटे पहले रमज़ान के रोजा की नियत कर लेना दुरुस्त है, और उसका रोजा माना जाएगा । रमज़ान शरीफ के रोजा में बस इतनी नियत कर लेना काफी है कि आज मेरा रोजा है या रात को इतना सोच ले कि कल मेरा रोजा है बस इतनी ही नियत से रामजान का रोजा अदा हो जाएगा । रमज़ान के रोजा की नियत यह है, बेसौमे गदिन नवइतो मिन शहरे रमज़ान इस दुआ को पढ़ कर आप रमज़ान के रोजा की नियत कर सकते हैं, रामजान शरीफ में रोजा की नियत करना सही है, आपको रोजा की नियत ज़रूर करना चाहिए ।

 

नज़र का रोजा रखने की नियत

अगर किसी ने नज़र मानी कि अगर मेरा यह काम हो जाएगा तो मैं अल्लाह के लिए दो रोजा या एक रोजा रखूँगा, फिर रमज़ान आया तो उसने उसी नज़र का रोजा रखने की नियत की रमज़ान के रोजा की नियत नहीं की तब भी रमज़ान का ही रोजा हुआ, उसका नज़र का रोजा अदा नहीं हुआ नज़र का रोजा रमज़ान के रोजा के बाद रखे, इससे साबित यह हुआ कि अगर आप रमाजन के महीने में रमज़ान के रोजा के बजाए को और रोजा रखने की नियत करते हैं तो आप ऐसा नहीं कर सकते हैं, क्यूंकी रमज़ान के रोज़े में सिर्फ रमज़ान का रोजा की नियत कर सकते हैं ।

 

चाँद देखने के मसायल – रोजा रखने की नियत

चाँद देखने के मसायल – रोजा रखने की नियत

जैसे की आपको मालूम होगा कि हमारे धर्म में लोग हर त्योहार को चाँद के हिसाब से मनाते हैं
, और अगर चाँद दिखाई नहीं देता है तो त्योहार को नहीं मनाते हैं, वैसे ही आज इस पोस्ट में हम बात करने वाले हैं रमज़ान के रोजा रखने के लिए चाँद देखना, अगर चाँद दिखाई देता है तो अगले दिन हम रोजा रखने की नियत करते हैं ।

शाबान की 29 तारीख को अगर रमज़ान शरीफ का चाँद निकल आए तो सुबह को रोजा रखेंगे, और अगर चाँद न दिखाई दे तो सुबह को रोजा नहीं रखनी है हदीश शरीफ में उसकी मुमानियत आई है बल्कि शाबान के 30 दिन पूरे कर के रमज़ान शरीफ के रोजा शुरू करो या आप तब रोजा रखने की नियत करो, बदली की वजह से 29 का चाँद न दिखाई दिया तो दोपहर से एक घंटा पहले तक कुछ न खाये, अगर कहीं से खबर आए कि आज का रोजा है तो अब आप रोजा रखने की नियत कर लो, और अगर दोपहर तक कहीं से कोई खबर नहीं आती है तो खा पी सकते हो, उसके बाद अगले दिन रोजा रखो या अगले दिन के रोजा रखने की नियत करो ।

 

तो दोस्तों यह था रमज़ान के महीने में रोजा रखने की नियत या आप कह सकते हैं कि रमज़ान के महीने में रोजा रखने के बारे में कुछ बेसिक जानकारी, आशा करता हूँ कि आपके लिए यह जानकारी काफी हेल्पफूल रहा होगा ।

तो आपको यह जानकारी कैसी लगी आप हमे कॉमेंट बॉक्स में ज़रूर बताएं । अगर आपको रमज़ान के महीने से संबन्धित कोई और जानकारी या रमज़ान के रोज़े से संबन्धित को जानकारी चाहिए तो आप हमे ज़रूर बताएं मैं आपको उस जानकारी के बारे में ज़रूर बताऊंगा , दोस्तों इस पोस्ट को आप अपने दोस्तों के साथ ज़रूर शेयर करें । ताकि उनको भी इसकी जानकारी हो सके ।

शूकरिया

 

 

Posted by – JM Islamic Official

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