Dua Ke Masayel in hindi
सारी मख़लूक़ अल्लाह तआला की मुहताज है और उसी की ज़रूरत मंद है और अल्लाह तआला उन से बे नियाज़ और मुस्तगनी है, अल्लाह तआला ने बंदों पर Dua करना वाजिब क़रार दिया है, चुनांचह इरशाद बारी तआला है :
मुझसे Dua करो मैं तुम्हारी Dua को कबुल करूंगा, यकीन मानो कि जो लोग मेरी इबादत से खुद सरि
करते हैं वह अनकरीब जलील हो कर जहन्नम मे पहुँच जाएंगे।
अल्लाह के रसुल
सल्लल्लाहु अलैहिवसल्लम का इरशाद है : जो शख्स अल्लाह
तआला से नहीं मांगता अल्लाह तआला उससे नाराज़ हो जाते हैं।
नेज़ उसके साथ अल्लाह तआला अपने बंदों के सवाल पर खुश होता है और आजज़ी से Dua करने वालों को महबुब रखता है और उन्हें अपने करीब करता है।
सहाबा इक़राम ने उस चीज़ को महसुस
किया था, चुनांचह वह किसी भी चीज़ को अल्लाह तआला से
मांगने को हक़ीर नहीं समझते थे और न ही अपना दस्त सवाल किसी मख़लूक़ के सामने फैलते
थे ऐसा सिर्फ इस लिए था कि उनका तअल्लुक अल्लाह तआला के साथ था, वह अल्लाह के करीब थे और अल्लाह उन के करीब था।
जैसा की अल्लाह
तआला फरमाते हैं : जब मेरे बंदे आप सल्लल्लाहु अलैहिवसल्लम से मेरे बारे मे
सवाल करें तो आप उन से कह दें कि मैं उन के करीब हूँ।
अल्लाह तआला के नजदीक दुआ का बड़ा ऊंचा मुकाम है, चुनांचह अल्लाह तआला के नजदीक सबसे मोहतरम चीज़ Dua है, बसा औकात दुआ से तक़दीर भी बदल जाती है और अगर कबूलियत के असबाब मौजूद हों और रद के असबाब नापीद हो तो मुसलमान कि दुआ बिला सुबहा कुबूल होती है और दुआ करने वाले को उन तीन चीजों मे से एक चीज़ ज़रूर हशील होती है जिनका ज़िक्र अल्लाह के रसुल सल्लल्लाहु अलैहिवसल्लम ने किया है।
आप सल्लल्लाहु अलैहिवसल्लम का इरशाद है : जब भी कोई मुसलमान कोई ऐसी Dua करता है जिसमे किसी गुनाह के काम या क़ता रहमी का मुतालबा नहीं होता तो उस दुआ के बदले अल्लाह तआला तीन चीजों मे से कोई एक चीज़ ज़रूर अता फरमाता है या तो जल्दी उसकी Dua कबुल हो जाती है या उस Dua को आखिरत के लिए ज़ख़ीरा बना देता है या उस Dua के बदले उस जैसी कोई मुशीबत टाल देता है।
यह सुनकर सहाबा इकराम ने अर्ज किया की : हम तो फिर कसरत से Dua करेंगे ?
आप सल्लल्लाहु अलैहिवसल्लम ने इरशाद फरमाया :
अल्लाह भी बहुत ज़्यादा देने वाला है।
Dua ki kisme in hindi
Dua की दो kisme हैं:-
1. दुआये इबादत, जैसे नमाज़ और रोज़ा आदि
2. Dua बतौर, सवाल व तलब
Aamal me farak
क्या कुरान मजीद की तिलावत अफजल है या ज़िक्र इलाही या दुयाए तलब, यह फर्क मुरातिब अजमाली तौर पर है, अलबत्ता बाज़ ऐसे हालात हैं कि गैर अफजल, अफजल से आला मुकाम हशील कर लेता है, चुनांचह अरफा के दिन Dua करना तिलावते कुरान से अफजल है और फर्ज़ नमाजों के बाद मसनुन ज़िक्र व अजकार मे मशगुल होना तिलावते कुरान से अफजल है।
Dua ki qabuliyat ke asabab
Dua ki qabuliyat ke के कुछ ज़ाहिरी asabab और कुछ बातिनी asabab
Zahiri asabab in hindi
Dua से पहले कोई नेक अमल करना, जैसे – सदक़ा, वज़ू, नमाज़, इसतेगबाल क़िबला ,हाथ उठाना,अल्लाह तआला की शायान शान उसके हम्द व सना जिस किस्म की Dua की जा रही है उसके मुनासिब असमाए हुस्ना के इस्तेमाल से वशीला लेना, चुनांचह अगर जन्नत की Dua कर रहा है तो अल्लाह तआला के फजल और रहमत का वास्ता दे कर उसके सामने गिड़ गिड़ाए और अगर किसी ज़ालिम पर बद्दुआ कर रहा है तो उस वक़्त रहमान या करीम जैसे नामों का वास्ता न दे बल्कि सिर्फ कहार व जब्बार जैसे नामों का ज़िक्र करे Dua ki qabuliyat के असबाब Zahiri मे यह भी दाखिल है कि दुआ की इब्तेदा मे, दरमियान व आखिर मे अल्लाह के रसुल सल्लल्लाहु अलैहिवसल्लम पर दरूद भेजे, अपने गुनाहों का ऐतराफ़ करे और अल्लाह तआला की नेमतों का शुक्र अदा करे ।
इसी तरह उन बेहतरीन औकात को दुआ के लिए गनीमत समझे जिनके बारे मे दलील वारिद है कि उस वक़्त दुआ की कबूलियत की उम्मीद रहती है और ऐसे औकात बहुत से हैं.
रात दिन मे : रात
का आखिरी तनहाई हिस्सा जब अल्लाह तआला आसमानी दुनियाँ पर नाज़िल होता है, अज़ान व अकामत के दरमियान का वकफ़ा, वज़ू के बाद,सजदे की हालत मे, नमाज़ मे सलाम फेरने से कब्ल, नमाजों के बाद, खतम कुरान के वक़्त, मुर्ग की आवाज़ सुन कर, सफर के दरमियान मे, मजलुम की दुआ, परेशान हाल की दुआ, वालिद की दुआ अपने बेटे के लिए, अपने ,मुसलमान भाई के लिए उसकी पीठ पीछे दुआ, और जंग मे
दुशमनों से मट्भेड़ के वक़्त दुआ।
हफ्ता मे : जुमे के दिन, खास कर दिन के आखिरी हिस्से मे।
महीनों मे : रमज़ानुल
मोबारक मे अफ़तारी और सहरी के वक़्त, शबे क़द्र मे और अरफा के दिन।
मोबारक मोकामात मे : मस्जिद
मे अमोमी तौर पर काबा के पास और बिल खुशुस मुल्तजिम के पास, मुकामे इब्राहीम अलैहिस्सलाम के पास, सफ़ा और मरवा पर,अय्यामे हज मे अरफ़ात, मज़दलफह और मनी मे, ज़म – ज़म का पानी पीते वक़्त।
Batani asabab in hindi
Batani asabab जैसे दुआ से कब्ल सच्ची तौबा, जूलमाली गयी चीजों की वापसी, खाने – पीने,पहनने और रहन – सहन मे पाक कमाई, हलाल कमाई, ताअते इलाही व ताअते पैगंबर सल्लल्लाहु अलैहिवसल्लम मे कसरत, हराम से परहेज, शुबहे और सहुत के अमुर से परहेज, दुआ के दौरान मे दिलजमई, अल्लाह पर पुरा ऐतमाद, कुवते उम्मीद, अल्लाह ही से इलतेजा, रोना और आजिज़ी व मस्कनत ज़हीर करना, तमाम मामलात को अल्लाह के हवाले करना और गैरुल्लाह से तअल्लुक़ात को तोड़ना।
JM Islamic Official
1 Comments
Very good
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