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Musafir ki namaz in hindi

Musafir ki namaz in hindi


Musafir ki namaz in hindi

Musafir ki namaz in hindi अगर कोई Musafir एक मंज़िल या दो मंज़िल का सफर करे तो उस सफर से शरीयत का कोई हुक्म नहीं बदलता और शरीयत के कायदे से उसको musafir नहीं कहते ।

Musafir को सारी बातें इसी तरह करनी चाहिए जैसे कि अपने घर करता था ।

Musafir ki namaz चार रकात वाली namaz को चार रकात पढ़ें और मोजा पहने हो तो एक दिन रात मशा करे फिर उसके बाद मशा करना दुरुस्त नहीं ।

जो कोई Musafir तीन मंज़िल का कसद करके निकले वह शरीयत के कायदे से Musafir है, जब अपने शहर की आबादी से बाहर हो गया तो शरीयत से Musafir बन गया और जब तक आबादी के अंदर चलता रहा तब तक Musafir नहीं है और अगर station आबादी के अंदर है तो आबादी के हुक्म मे है और अगर आबादी के बाहर हो तो वहाँ पहुंचकर Musafir हो जाएगा ।

तीन मंज़िल  Musafir ki namaz यह है कि अक्सर पैदल चलने वाले वहाँ तीन रोज़ में पहुंचा करते हैं ।

तख़मीना उसका हमारे मुल्क में कि दरिया और पहाड़ में सफर नहीं करना पड़ता 48 मील अंग्रेजी है ।

अगर Musafir ki namaz  को जगह इतनी दूर है कि ऊंट और आदमी के चाल के ऐतबार से तो तीन मंज़िल है लेकिन तेज़ यकका और तेज़ बहली पर सवर है इस लिए दो ही दिन में पहुँच जाएगा या रेल में सवर हो कर ज़रा सी देर में पहुँच जाएगा तब भी वह शरीयत से मुसाफिर है ।

जो कोई  Musafir ki namaz शरीयत से मुसाफिर हो वह जोहर असर और ईशा की फर्ज़namaz दो दो रकातें पढे और सुन्नतों का यह हुक्म है कि अगर जल्दी हो तो फ़जर की सुन्नतों के सिवा और सुन्नतें छोड़ देना दुरुस्त है, उसको छोड़ देने से कुछ गुनाह न होगा और कुछ जल्दी न हो न अपने साथियों से बिछड़ जाने का डर हो तो न छोड़े और सुन्नतें safar में पूरी – पूरी पढे उनमें कमी नहीं है ।

Musafir ki namaz  फ़जर, मगरीब और वित्र की नमाज़ में भी कोई कमी नहीं है जैसे हमेशा पढ़ता रहा वैसे ही पढे ।

जोहर असर और ईशा की नमाज़ दो रकातों से ज़्यादा न पढे पूरी रकाते पढना गुनाह है अगर भूले से चार रकातें पढ़ ले तो अगर दूसरी रकात पर अत्तहियात पढ़ी है तब तो दो रकातें फर्ज़ हो गईं और दो रकातें नफ़िल की हो जाएंगी, फर्ज़ नमाज़ फिर से पढे ।

Musafir ki namaz अगर रास्ता में कहीं ठहर गया तो पंद्रह दिन या उससे ज़्यादा ठहरने की नियत है तो बराबर वह Musafir रहेगा चार रकात फर्ज़ वाली नमाज़ दो रकात पढ़ता रहे और अगर पंद्रह दिन या उससे ज़्यादा ठहरने की नियत कर ली है तो अब वह Musafir नहीं रहा ।

फिर अगर  Musafir ki namaz नियत बदल गयी और पंद्रह दिन से पहले चले जाने का इरादा हो गया तब भी Musafir नहीं बनेगा नमाज़ पूरी पढे फिर जब यहाँ से चले तो अगर यहा से वह जगह तीन मंज़िल हो जहां जाना है तो फिर Musafir हो जाएगा और जो उससे कम हो तो Musafir न हुआ ।


Musafir Aurat ki namaz

Musafir Aurat ki namaz

Musafir Aurat ki namaz Musafir Aurat चार मंज़िल जाने की नियत से चले लेकिन पहली दो मंज़िलें हैज़ की हालत में गुज़रें तब भी वह Musafir Aurat नहीं है ।

Musafir Aurat अब नहा धो कर पूरी चार रकातें पढे अलबत्ता हैज़ से पाक होने के बाद वह जगह तीन मंज़िल हो या चलते वक़्त पाक थी रास्ता में हैज़ आ गया तो वह अलबत्ता Musafir Aurat है हैज़ से पाक हो कर नमाज़ Musafir Aurat की तरह पढे ।

Musafir Aurat namaz पढ़ते – पढ़ते namaz के अंदर ही पंद्रह रोज़ ठरहने की नियत हो गयी तो Musafir Aurat नहीं रही यह namaz भी पूरी पढे ।

Musafir Aurat को दो चार दिन के रास्ते में कहीं ठहरना पड़े लेकिन कुछ ऐसी बातें हो जाती हैं कि जाना नहीं होता, रोज़ नियत होती है कि कल परसों चला जाऊंगा लेकिन नहीं जाना होता है, इसी तरह पंद्रह या बीस दिन या एक महिना या उस से भी ज़्यादा रहना हो गया, लेकिन पूरे पंद्रह दिन कि नियत कभी नहीं होती तब भी वह Musafir Aurat है या चाहे जितने दिन इसी तरह गुज़र जाएँ ।

कोई Musafir Aurat अपने खाविंद के साथ है रास्ते में जितना वह ठहरेगा उतना ही Musafir Aurat भी ठहरेगी Musafir Aurat उससे ज़्यादा नहीं ठहर सकती तो ऐसी हालत में शौहर की नियत का ऐतबार है ।

अगर Musafir Aurat के शौहर का इरादा पंद्रह दिन ठहरने का है तो Aurat भी Musafir नहीं रही चाहे ठहरने की नियत करे या न करे और मर्द का इरादा कम ठहरने का हो तो Aurat भी Musafir है ।

Musafir Aurat के ब्याह के बाद अगर Aurat मुस्तकिल तौर पर सुसरल में रहने लगी तो उसका असली घर सुसराल है तो अगर तीन मंज़िल चल कर माइके गयी और पंद्रह दिन रोज़ ठरहने की नियत नहीं है तो Musafir Aurat रहेगी, मुसाफिरत के कायदे से नमाज़ रोज़ा अदा कर ले और अगर वहाँ रहना हमेशा दिल में नहीं तो जो वतन पहले से असली था वह ही अब भी असली रहेगा ।

अगर किसी Musafir Aurat को तीन मंज़िल जाना हो तो जब तक मर्दों मे से कोई अपना महरम य शौहर न हो तो उस वक़्त तक सफर करना दुरुस्त नहीं है, Musafir Aurat का बे महरम के साथ सफर करना बड़ा गुनाह है, और अगर एक मंज़िल या दो मंज़िल जाना हो तो तब भी महरम के साथ जाना बेहतर है ।

जिस महरम को खुदा और रसूल का डर न हो, और शरीयत की पाबंदी न करता हो ऐसे महरम के साथ भी सफर करना दुरुस्त नहीं है ।

 


Rail gadi me namaz padhna in hindi

Rail gadi me namaz padhna in hindi rail gadi me namaz पढ़ने का हुक्म है कि चलती rail gadi me namaz पढ्ना दुरुस्त है अगर खड़े हो कर Rail gadi me namaz पढ़ने में सर घूमने लगे तो बैठ कर Rail me namaz पढे ।

Rail me namaz पढ़ने में rail घूम गयी और क़िबला दूसरी तरफ हो गया तो namaz ही में घूम जाए और क़िबला की तरफ मुंह कर के Rail me namaz पढे ।


 

Musafir ki namaz ke masayal

Musafir ki namaz ke masayal मुकिम की इक्तदा Musafir के पीछे हर हाल में दुरुस्त है ख़्वाह अदा नमाज़ हो या क़ज़ा नमाज़ ।

और Musafir इमाम जब दो रकात पढ़कर सलाम फेर दे तो मुकिम मुक्तदी को चाहिए कि अपनी नमाज़ उठकर तमाम करे और उसमे करात न करे बल्कि चुप छाप खड़ा रहे इस लिए वह लाहक है और क़ायदा उला अपने मुक्तदियों को दोनों तरफ सलाम फेरने के बाद फौरन अपने musafir होने की इत्तला कर दे और ज़्यादा बेहतर यह है कि कब्ल नमाज़ शुरू करने के भी अपने Musafir होने की इत्तला कर दे ।

Musafir भी इमाम की इक्तदा कर सकता है मगर वक़्त के अंदर, और वक़्त जाता रहा तो फ़जर और मगरीब नमाज़ में कर सकता है जोहर और असर नमाज़ में नहीं ।

अगर कोई musafir हालते नमाज़ में अकामत की नियत कर ले और ख़्वाह अव्वल में या दरमियान में या आखिर में सजदा सहू या सलाम से पहले तो उसको वह नमाज़ पूरी पढ़ना चाहिए उसमे क़सर जायज़ नहीं है ।

 

तो दोस्तो यह था musafir की namaz, मुसाफिरत की नमाज़ अगर कोई बंदा musafir है और उसे नमाज़ पढ़ना है तो वह ऊपर बताए गए मसले को समझकर अपनी नमाज़ पूरी कर सकता है ।

 


तो दोस्तो आशा करता हूँ कि यह post आपको काफी पसंद आया होगा, दोस्तो इस post आप अपने भाई दोस्त के साथ सेयर ज़रूर करें ताकि उनको भी इस तरीके के बारे में मालूमात हासिल हो सके ।

तो दोस्तों आज के लिए बस इतना ही मिलते है अगले दिन एक नए post के साथ, तब तक के लिए आप हमारे post को पढ़ते रहिए , और dini malumat , इस्लामी मालूमात , और इस्लाम से संबन्धित जानकारी को पढ़ते रहिए, और उस पर अमल करते रहिए ।

अल्लाह ताला हमें इस पर अमल करने की तौफीक दे । आमीन  

 

 

 

JM Islamic Official

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