malakul
maut meaning in hindi
दुनियाँ
malakul maut के
दोनों घुटनों और दोनों रानों के दरमियान है
शहर
बिन हौशब रजिअल्लाहु अनहु रिवायत करते हैं कि malakul
maut बैठे हुये हैं और दुनियाँ
उनके दोनों घुटनो के दरमियान है और वह तख्ती जिसमें तमाम इन्सानों की मौत का वक़्त
लिखा हुआ है उसके दोनों हाथों में है और उनके सामने फरिश्ते खड़े हैं ।
malakul
maut तख्ती पर नज़र डालते हैं और जब
जब किसी की मौत का वक़्त होता है तो फरमाते हैं कि उसकी रूह क़ब्ज़ करूँ ।
malakul
maut रोजाना हर घर में चक्कर लगाते हैं
हज़रत
हसन रजिअल्लाहु अनहु फरमाते हैं कि malakul
maut हर घर में तीन मर्तबा रोजाना चक्कर लगा कर देखते हैं कि
किसका रिज़्क़ पूरा हो गया किसकी मुद्दत उम्र पूरी हो गयी ।
जिसका
रिज़्क़ पुआ हो जाता है, उकई रूह क़ब्ज़
कर लेते हैं और जब उसके घर वाले उसकी मौत पर रोते हैं तो malakul maut दरवाजे की चौखट पर खड़े हो कर कहते हैं, एरा कोई
गुनाह नहीं मुझे तो इसी का हुक्म दिया गया था ।
वल्लाह
न तो मैंने उसका रिज़्क़ खाया, न उसकी
उम्र घटाई, न उसकी मुद्दत उम्र से कुछ हिस्सा कम किया ।
मैं
तुम्हारे घरों में बार – बार आता रहूँगा यहाँ तक कि तुम मे से किसी को भी बाक़ी
नहीं छोड़ूँगा ।
हज़रत
हसन रजिअल्लाहु अनहु ने फरमाया अगर मय्यत के घर वाले मलकुल मौत का खड़ा होना
देख लें और उनका कलाम सुन लें तो अपनी मय्यत से गाफिल हो जाएँ और अपने ऊपर रोएँ ।
malakul
maut को रूह क़ब्ज़ करने का हुक्म दिया जाता है
हज़रत
खसीमा रज़िअल्लाहु अनहु रिवायत करते हैं कि हज़रत सूलैमान अलैहीस्सलाम की मलकुल मौत
से दोस्ती थी ।
एक
मर्तबा malakul maut हज़रत सूलैमान अलैहीस्सलाम के पास तशरीफ लाएँ ।
हज़रत
सूलैमान अलैहीस्सलाम ने उनसे दरयाफ्त किया कि तुम्हारी आमद तो सब घर वालों पर होती
है, उनमें से बाज़ की रूह क़ब्ज़ करते हो और दूसरे
बाज़ को जो उनके पहलू में बैठे होते हैं छोड़ देते हो,
मलकुल
मौत ने जवाब दिया : मुझे पहले से
कुछ इल्म नहीं होता ।
मैं
तो अर्श के नीचे होता हूँ, मेरी तरफ
चिट्ठियाँ डाली जाती हैं जिनमे नाम दर्ज़ होते हैं ।
मतलब
यह है कि मुझे लिखा हुआ हुक्म मिलता है, मैं उसकी तामिल करता हूँ ।
पहले
मलकुल मौत लोगों के सामने ज़हीर होकर रूह क़ब्ज़ करते थे
अबू
शआशा जाबिर बिन जैद रजिअल्लाहु अनहु से रिवायत करते हैं कि मलकुल मौत बेगैर
दुख दर्द के पहले रूह क़ब्ज़ किया करते थे ।
लोगों
ने उनको बुरा भला कहना शुरू किया ।
उन्होने
अल्लाह तआला से इसकी शिकायत की ।
तो अल्लाह
तआला ने बीमारियों को मुकर्रर कर दिया ।
लोग
मौत को बीमारी की तरफ मन्सूब करने लगे और malakul
maut को भूल गए ।
मतलब
यह है कि चंद मखशुश बंदों को छोड़ कर बाक़ी सब ही बीमारी की तरफ मन्सुब करने लगे हैं
।
malakul
maut मोमिन के साथ नरमी करते हैं
खज़रज
रजिअल्लाहु अनहु रिवायत करते हैं मैंने जनाब रसूले अकरम सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम
से सुना जब आप सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम ने मलकुल मौत को एक अंसारी साहबी के पास
बैठे हुये देखा ।
तो
आप सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम ने फरमाया,
ऐ मलकुल
मौत मेरे सहाबी के साथ नरमी का बर्ताव करना कि वह बिलासुबहा मोमिन हैं । malakul maut ने
अर्ज़ किया,
आप
सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम खुश हों और अपनी आँखें ठंडी करे और उस बात का यकीन रखें
कि मैं हर मोमिन के साथ नरमी करता हूँ जब मैं किसी कि रूह क़ब्ज़ करता हूँ और उसके
घर वालों में से कोई रोता है तो मैं उसकी रूह को लिए हुये खड़ा होता हूँ और उनसे
कहता हूँ कि खुदा की कसम मैंने उसपर कोई ज़ुल्म नहीं किया मौत से पहले उनको मौत
नहीं आई,
फैसला
इलाहि से सबकत नहीं की उसकी रूह के क़ब्ज़ करने में मेरा कोई गुनाह नहीं है अगर तुम
अल्लाह तआला के लिए वे फैसले पर रज़ी रहो तो अल्लाह तुम्हें अज्र देगा वरना गुनहगार
होगे और तुम्हारे पास लौट लौट कर आऊँगा लेहाजा तुम गुनाह से बचो तुम मे से हर एक
की ख़्वाह वह नेक हों या बद,
नरम
ज़मीन में हो या पहाड़ में,
बालू
के मकान में हो या मिट्टी में,
रोजाना
चक्कर लगाता हूँ ।
यहाँ
तक मैं उनमे से हर एक को खुद उनसे ज़्यादा पहुंचाता हूँ ।
वल्लाह
मैं बेगैर अजिन इलाहि एक मच्छर की रूह भी क़ब्ज़ करने पर कुदरत नहीं रखता ।
malakul
maut हर सखी पर मेहरबान है
हमीद
बिन माबुफ रहमतुल्लाह अलैह अपने बाप माबुफ से बयान करते हैं कि मेरे बाप ने कहा
मैं उन लोगों मे शामिल था जो हुक्म अब्दुल मुत्तलिब बिन अब्दुल्लाह बिन खटब की
अयादत के लिए मुकाम मनबज़ में गए थे ।
हज़रत
हुकमे हालत नेज़ा में थे ।
और
मौत की शिद्दत व शख्ती की वजह से बेहोश थे ।
हाज़िरीन
मे से एक शख्स ने कहा,
इलाहि
! हुक्म पर आसामी फरमा ।
वह
तो ऐसा था वैसा था ।
और
उस शख्स ने हुक्म की शान में कुछ तारीफ़ी कालामात भी कहे ।
जब
हुक्म को होश आया उन्होने दरयाफ्त किया, यह कलाम करने वाला शख्स कौन था ?
लोगों
ने कहा कि फलां शख्स है हज़रत हुक्म ने उससे कहा कि malakul maut तुझसे
यह कहते हैं कि मैं हर मिमिन सखी पर मेहरबान हूँ ।
उसके
बाद हज़रत हुक्म का फौरन इंतेकाल हो गया ।
JM Islamic Official
1 Comments
Very nice
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