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Kafara meaning in Islam | Roza ki qaza | Roza ka kaffara kya hai

Kafara meaning in Islam

Kafara meaning in Islam

अस्सलामू अलैकुम – दोस्तों स्वागत है आपका इस इस्लामिक ब्लॉग में तो आज हम बात करने वाले हैं
Kaffara meaning in Islam के बारे में, Islam में Kafara का क्या हुक्म है, और Islam me Kafara कितना देना चाहिए, और कौन से गुनाह का कितना Kafara है इसके बारे में हम इस पोस्ट में डिटेल्स में जानने वाले हैं, तो आपसे गुज़ारिश है कि आप इस पोस्ट को पूरा पढ़ें, ताकि आपको Islam में Kafara का मतलब समझ में आ सके, मैं इस पोस्ट में आपको अच्छी तरह से Islam में Kafara का क्या हुक्म है और Kafara meaning in Islam का मतलब क्या है इसके बारे में बताने की पूरी कोशिश करूंगा ।

 

Roza ka kaffara kya hai

तो दोस्तों अब हम जानते हैं कि Roza ka kaffara kya hai और Roza ka kaffara को कैसे पूरा करें, और अगर किसी शख्स का एक रोज़ा छूट जाए तो कितना kaffara है उसको उस रोज़े के बदले कितना रोज़ा रखना पड़ेगा, तो अगर आप रमज़ान शरीफ का रोज़ा रखे हुये हैं और आपने रोज़ा को तोड़ दिया तो उसका कफ़ारा यह है कि दो महीने तक लगातार रोज़ा रखे, और अगर यह चाहे कि मैं थोड़ी – थोड़ी रोज़े रख लूँगा तो यह दुरुस्त नहीं है आपको लगातार दो महीने रोज़ा रखना पड़ेगा, और अगर किसी वजह से बीच में दो एक रोज़े नहीं रखे तो फिर से दो महीने के रोज़े रखे, यानि आपको बीच में छोड़ना नहीं है आपको लगातार रोज़े रखना है। हाँ जीतने रोज़े औरत की हैज की वजह से छूट गए वह माफ हैं, उनके छूट जाने से कफ़ारा में कुछ नुकशान नहीं आया लेकिन पाक साफ होने के फौरन बाद फिर रोज़े रखना शुरू करे और साथ रोज़े पूरे करे । अगर किसी औरत के निफ़ास की वजह से बीच में रोज़े छूट गए पूरे रोज़े लगातार नहीं रख सकी तो भी कफ़ारा सही नहीं हुआ । सब रोज़े फिर से रखे । और अगर किसी के दुख या बीमारी की वजह से बीच में Kafara के कुछ रोज़े छूट गए तब भी जब वह ठीक हो जाए या तंदरुस्त होने के बाद फिर से रोज़े रखना शुरू करे ।

 

Roza ki qaza

Roza ki qaza

दोस्तों अब हम जानते हैं कि एक रोज़ा को छोड़ देने से
Roza ki qaza क्या है, और उस Roza के बदले हम और क्या कर सकते हैं, इसके बारे में जानते हैं, अगर किसी शख्स को Roza रखने की ताकत न हो तो साठ मिसकीनों को सुबह शाम वह पेट भर कर खाना खिला दे जितना वह खाना चाहें उतना खिलाये, और अगर इन मिसकीनो में छोटे बच्चे हों तो जायज़ नहीं है उन बच्चों के बदले और मिसकीनों को खाना खिलाए, और अगर यह न कर सके तो यानि साठ मिसकीनों को खाना न खिला सके तो उन मिसकीनों को कच्चा अनाज दे दे, तो जायज़ है, हर एक मिसकीन को इतना अनाज दे कि जितना सदक़ा फ़ितरा दिया जाता है । और अगर यह भी न दे सके तो उन मिसकीनों को उतने अनाज के बदले पैसे दे दे यह तरीका भी जायज़ है ।

और अगर रोज़ा छोड़ने वाला शख्स अपना कफ़ारा अदा करने को किसी और से कह दे तुम मेरी तरफ से कफ़ारा अदा कर दो और वह ठीक उसी तरह जैसे ऊपर आपने पढ़ा है अदा कर दिया तो उसका kafara अदा हो गया ऐसा भी करना जायज़ है, और अगर एक ही मिसकीन को साठ दिन तक खाना खिलाया या साठ दिन तक कच्चा अनाज या साठ दिन तक उसकी कीमत दे दिया तो यह भी हुक्म है उसका kafara अदा हो गया । और अगर साठ दिन तक लगातार खाना नहीं खिलाया बल्कि बीच में कुछ दिन छूट गए तो कुछ हर्ज़ नहीं यह दुरुस्त है । और अगर किसी फकीर को सदक़ा फ़ितरा की मिक़दार से कम दिया तो kafara सही नहीं हुआ, जितना देने का हुक्म है उतना ही दे, अगर एक ही रमज़ान के महीने के दो या तीन रोज़े तोड़ डाले तो एक एक ही Kafara वाजिब है अलबत्ता अगर यह दोनों रोज़े एक रमज़ान के महीने के न हों तो अलग – अलग Kafara देना पड़ेगा ।

 

उम्मीद करता हूँ कि आपको Kafara meaning in Islam के बारे में समझ में आ गया होगा, अगर आपको इस पोस्ट में कोई मसला समझ में न आए तो आप कॉमेंट ज़रूर करें ।

 

 

JM Islamic Official

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